डोली और जनाजा…
©गायकवाड विलास
रंग-बिरंगी फूलों सजी तेरी डोली सुन्दर ,
मानो वहां खुशियों की आयी बहार है ।
ख्वाब नैनों में सजाके निकली तू पिया के घर,
तेरे लिए तो तेरी दुनिया जैसे आबाद हुई है ।
इधर जनाजा उठा मेरा इस दुनिया से,
यहां भी गमों में डुबी हुई वो महफ़िल थी।
अश्क तेरे नयनों से बहे होंगे कितने सारे,
जब मेरे मौत की खबर तेरी गली में पहुंची होगी।
हाथों में हाथ लिए कसमें खाई थी हमनें,
कितने टुटते तारों को भी एक साथ देखा था हमनें।
मगर जमाने के डर से चुप हो गई तुम सब भुलकर,
लेकिन संग संग जीने मरने के वो वादें भी तोड़ दिए तुमने।
देख तेरी ही गली से गुज़र रहा है मेरा जनाजा,
मेरे भी जनाजे पर देख कितने फूल महक रहे है।
तेरी डोली उठानेवाले लोग भी कह रहे है तुझे बेवफ़ा,
देख प्यार मेरा आज तेरे लिए ही इस दुनिया में अमर हुआ है।
रंग-बिरंगी फूलों से सजी तेरी डोली सुन्दर,
मानों वहां ख़ुशी खुशियों की आयी बहार है।
लेकिन फर्क सिर्फ इतना ही है हम दोनों के बीच में,
तुझे मिली नई जिंदगी और मेरी जिंदगी आज इस दुनियां से विदा हो रही है।
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