सपने बाबा साहब के | ऑनलाइन बुलेटिन
©रामावतार सागर
परिचय– कोटा, राजस्थान
इतने करम है हम पे अपने बाबा साहब के
सच हो रहे हैं अब तो सपने बाबा साहब के
जिसने भी माना अपना शत्रु बाबा साहब को
वो भी लगे हैं नाम जपने बाबा साहब के
हो जाति से रहित समाज सपना एक था
आकर पड़ा है धर्म घुटने बाबा साहब के
बन के प्रतीक ज्ञान का अज्ञानता के बीच
चर्चे जगत में फैले कितने बाबा साहब के
इतिहास बन गया है उनका संविधान तो
बेटे लगे हैंं लिखने पढ़ने बाबा साहब के
शोषण के चक्र तोड़कर सम्मान दिलाया
नारी भी लगी नाम रटने बाबा साहब के
सागर तुम्हारा हाल अभी देख लेते तुम
मिलते नहीं जो आज सपने बाबा साहब के