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बरसो बरखा रानी | Newsforum

©प्रीति बौद्ध, फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश


 

कारे कारे बदरा आसमान में छाए

कानन नाचे मयूर, मन मेरा हर्षाये।

धरती की प्यास बुझाए बारिस का पानी,

स्वागत है वर्षों से, बरसो बरखा रानी।

 

घरर-घरर बदली घुंघरू धुन झंकारती

अवनि तृप्त कर प्रकृति को निखारती।

मिट्टी सुगंधित कर जाये वर्षा का पानी,

स्वागत है वर्षों से, बरसो बरखा रानी।

 

उगे चहुंओर वनस्पति, खिलती हरियाली

विरहिणी ज्यों पिया से मिल हुई मतवाली।

सतरंगी इन्द्रधनुष करू हार्दिक आगवानी,

स्वागत है वर्षों से, बरसो बरखा रानी।

 

झूला झूले, पंक्षी करलव गीत सुनाते

कर अठखेलियां छपाछप बच्चे खूब नहाते।

कागजी नाव खूब दौड़ाते दरिया तेरा पानी,

स्वागत है वर्षों से बरसो बरखा रानी।

 

बरसो खूब रहम तनिक तुम करना

रहें महफ़ूज घरोंदे जनहानि से डरना।

अल्हड़ता संग गरज बरसो मौसम है रूहानी,

स्वागत है वर्षों से, बरसो बरखा रानी।


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