हां मुझे बीमारी है | newsforum

©हरीश पांडल, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
हां मुझे बीमारी है
पूछोगे नहीं कौन से
मेरी बीमारी सुन
सब हो जाते हैं मौन से
हां मेरी बीमारी
ला ईलाज है
मेरी बीमारी से परेशान
सवर्ण समाज है
मेरी बीमारी को
ठीक करने के लिए
साम, दाम, दंड, भेद
सभी नीति अपनाया गया
किंतु मेरी मर्ज की दवा
कभी कोई नहीं बना पाया
मेरी बीमारी नहीं मिटेगी
किसी बैंक के लोन से
हां मुझे बीमारी है
पुछोगे नहीं कौन से
मेरे जैसे बीमारी
उसी को होता है जो
मूलनिवासियों के हक
और अधिकार के लिए लड़ता है
जो शोषितों पीड़ितों के दु:खों से
दु:खी होता है
और जिसे अपने से मतलब
वह इस बीमारी से
दूर रहता है
इसी बात की पड़ताल
पहले कर लेते हैं
मजलूमों की पीड़ा को कितने
लोग समझते हैं
मुट्ठी भर लोग बहुसंख्यक
लोगों के अधिकार
छीन रहे हैं
हमारे बहुसंख्यक वर्ग
अपने आंखें मुंद रहें हैं
चौक- चौराहे पर
आंदोलन नहीं हो रहे हैं
और धार्मिक स्थलों पर
जयकारे गुंज रहे हैं
धार्मिक जयकारों से क्या
मूलनिवासियों को
अधिकार मिल जायेगा
नायक पूजा करने से क्या
रोजगार मिल जायेगा ?
करना होगा हमें
आंदोलन की तैयारी
हां मुझे है बीमारी
पूछोगे नहीं कौन से
अधिकार के लिए आवाज
उठे हर जोन से
मेरी बीमारी को सुन
सब हो जाते हैं मौन से
कितनी पुरानी है
मेरी बीमारी
और किनसे मिली
मुझे बीमारी
उनके नाम नहीं पूछोगे
चलो मैं उनके नाम
बता देता हूं
मैं उन सभी महापुरुषों के
पहचान बता देता हूं
मुझे यह बीमारी
विरासत में मिली है
बहुतों को यह बीमारी
हिरासत में मिली है
तथागत बुद्ध
कबीर, रहीम
संत, रविदास
गुरु घासीदास
गुरु बालकदास,
वीर नारायण सिंह
ज्योतिबा फूले, शाहुजी महराज
बिरसा मुंडा, डॉ आंबेडकर
कांशीराम जी,
ऐसे महापुरुषों से मुझे
यह बीमारी मिली है
मेरी बीमारी से
सामंतों की दुनिया
हिली है
मैं इस बीमारी को साथ
लेकर मरना चाहता हूं
ऐसी बीमारी
भावी पीढ़ी को देना
चाहता हूं
मेरी बीमारी का नाम है
सामाजिक ईमानदारी की बीमारी
यह बीमारी कम लोगों को होती है
जिसे होती है वह
मर कर भी अमर होता है
हमें विरासत में यह
बीमारी मिली है
और विरासत की रक्षा
जान देकर भी करनी है
इस बीमारी का बीज
मूलनिवासियों के
घर-घर बोना है
मुझे विरासत में संसार मिला
ऐसे महापुरुषों का साथ मिला
मैं मरने के बाद भी
मेरी बीमारी यहीं छोड़ जाऊंगा
देश में जब तक समानता
ना आ जाए
इस बीमारी का रहना
आवश्यक है
ऐसी बीमारी के बिना
जीना निरर्थक है
मैं गर्व से कहता हूं
हां मुझे बीमारी है
ऐसी बीमारी तो
जन आंदोलन की चिंगारी है
इस चिंगारी को मशाल बना दो
इस बीमारी को मिशाल बना दो
खुद जागो लोगों को जगा दो
सबको बता दो
हां हमें
सामाजिक ईमानदारी की बीमारी है
हां मैं बीमार हूं
हां मैं बीमार हूं …