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नवरात्रि~ त्रुगिणी ~ त्रिनेत्री ~तारणहारी | ऑनलाइन बुलेटिन

©बिजल जगड

परिचय- मुंबई, घाटकोपर


 

नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है “९ रातें।” ये नौ रातें अमावस्या के अगले दिन से गिनी जाती हैं। यह देवी के लिए एक विशेष समय है, दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती को स्त्री के तीन आयामों के रूप में देखा जाता है, जो क्रमशः पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा, या तमस (जड़ता), रजस (गतिविधि, जुनून) और सत्व (ज्ञान) का प्रतिनिधित्व करते हैं। ज्ञान, पवित्रता) का प्रतीक है।

 

नवमी भगवान के स्त्री स्वभाव का प्रतिनिधित्व करता है।

 

  1. नवरात्रि के पहले तीन दिनों को तमस के रूप में मनाया जाता है, जहां देवी दुर्गा; काली के रूप में उग्र है। तमस पृथ्वी का स्वभाव है, और यह जन्म देता है। हम गर्भ में को समय व्यतीत करते हैं वह तमस है।

 

  1. अगले 3 दिन रजस हैं। रजस आते ही आप कुछ करना शुरू कर देते हैं और अगर उसमें जागरूकता और चेतना नहीं है, तो आप कुछ करना चाहते हैं और हो कुछ जाता है। रजस की प्रकृति ऐसी होती है कि वह व्यक्ति में जबरदस्त ऊर्जा पैदा करता है और अगर उस ऊर्जा को सही तरीके से निर्देशित किया जाए तो उसकी महारत जीवन में अच्छे परिणाम ला सकती है।

 

  1. नवरात्रि के अंतिम तीन दिनों का महत्व – तामसी से रजासिकप्रकृति से सत्व की ओर बढ़ना और इसमें आप अपने शरीर को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और ऊर्जावान रूप से शुद्ध कर रहे होते हैं। आप अपने आप को इतना शुद्ध परिभाषित करते हैं कि यह बहुत पारदर्शी हो जाता है। ताकि आप अपने भीतर सृजन के स्रोत को न चूकें।

 

अभी, यह इतना अपारदर्शी है कि आप देख नहीं सकते। शरीर एक दीवार की तरह हो गया है जो सब कुछ अवरुद्ध कर देता है। कुछ असाधारण – सृजन का स्रोत – यहां बैठा है लेकिन यह दीवार इसे अवरुद्ध कर रही है क्योंकि यह बहुत अपारदर्शी है। इसे निखारने का समय है नवरात्रि, नहीं तो दीवार ही जान पाओगे; आप कभी नहीं जान पाएंगे कि अंदर कौन रहता है !!

 

गुरु; गुरु देवो भवः | ऑनलाइन बुलेटिन

 

 


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