दहशतगर्दी पर होगा अब जोरदार प्रहार | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन
©के. विक्रम राव, नई दिल्ली
-लेखक इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (IFWJ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान को आज (18 नवंबर 2022) दिल्ली में प्रारंभ हुये “आतंक को वित्त-पोषण” नहीं पर वैश्विक सम्मेलन में बुलाया ही नहीं गया। चीन को मोदी सरकार ने शायद काट दिया हो। कारण : 26/11/2008 के मुंबई धमाके के हमलावर मियां साजिद अली को आतंकी करार देने में संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव पर चीन ने अड़ंगा लगाया था। अर्थात मौन रहकर अपनी किरकिरी कराने से मोदी-शाह सरकार बच गई। इस त्रिदिवसीय-अधिवेशन में 73 राष्ट्रों से 450 प्रतिनिधि शरीक हुए हैं। दुनिया अवगत है कि पाकिस्तान इस्लामी दहशतगर्दों की धुरी है। अतः उसे बुलाने के मायने कसाई को गाय बेचना जैसा है, जो मुंशी प्रेमचंद के गरीब किसान होरी ने भी करने से इंकार कर दिया था। कवि प्रदीप ने इसी सूत्र को राजेंद्र कुमार की फिल्म “तलाक” के लिए लिखा था : “संभल कर रहना-अपने घर में छिपे हुए गद्दारों से।” मसलन इंजीनियरिंग के छात्र फैज रशीद को बेंगलुरु के कोर्ट ने (1 नवंबर 2022 ) पाँच वर्ष की जेल की सजा दी थी। अपराध ? वह पुलवामा विस्फोट में 40 जवानों की मौत की खबर पर सोशल मीडिया मे खुशी मना रहा था। इससे भी ज्यादा घृणित है मादक द्रव्यों के शातिर मुजरिम हाजी मस्तान और करीम लाला को मुंबई के मरीन लाइंस कब्रिस्तान में दफनाया जाना। उसके पास ही मजार है संजय दत्त की मां नरगिस, महबूब खान और सुरैया जैसी राष्ट्रभक्त हस्तियाँ की। इसी कब्रिस्तान में कभी डॉन दाऊद इब्राहिम ने ट्रकों से भरे सुगंधित गुलाब मंगवाकर अपने पिता की कब्र पर खुलेआम चढ़वाये थे।
दिल्ली सम्मेलन का उद्घाटन करते, राजग सरकार के प्रधानमंत्री ने कहा कि : “परोक्ष रूप से आतंकवाद के आका के रूप में पाकिस्तान पर कुछ देश आतंकवाद को सपोर्ट और स्पॉन्सर करने का आरोप लगाते हैं।” पाकिस्तान का नाम लिए बिना मोदी ने कहा कि आतंकवाद को वैचारिक नहीं बनना चाहिए। आतंकी संगठन कई स्रोतों से धन पाते हैं। कई राष्ट्र आतंकी संगठनों को राजनीतिक, वैचारिक और वित्तीय मदद भी करते हैं।
कई प्रतिनिधियों ने सम्यक राय दी कि ठोस कार्यक्रम पर गौर हो। इनमे प्रमुख है : आतंकवाद के खात्मे के लिए व्यापक, सक्रिय रणनीति के तहत कार्रवाई आवश्यक हो। आतंकवादियों का पीछा करें, उनके समर्थक नेटवर्क को तोड़ें और उनके वित्तीय स्रोतों को निशाना बनाएं।
ध्यान देनी वाली बात है कि मुस्लिम राष्ट्रों में जो सोच पनप रही है, वह एकांगी है। उनका ध्येय है कि समस्त विश्व को दारुल इस्लाम में बदलना है। अतः दारुल हर्ब (शत्रु) राष्ट्रों का जिहाद द्वारा इस्लामीकरण हो। गजवाए हिंदू द्वारा भारत पर कब्जा हो। जैसे कश्मीर पर। इन आतंकियों की दृष्टि में यह स्वाधीनता आंदोलन है न कि इस्लामी दहशतगर्दी। यही नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के महानिदेशक दिनकर गुप्त ने मीडिया को बताया भी। उन्होने कहा कि “सोशल मीडिया मंचो को आतंकवाद हेतु धन जुटाने में इस्तेमाल किया जा रहा है।”
अतः भारत सरकार को भी तुष्टीकरण के नाम पर आतंकियों को प्रश्रय नही देना होगा। दिल्ली संकल्प-पत्र वैश्विक स्तर पर अति महत्वपूर्ण होगा। आतंक-विरोधी दृढ़ इच्छाशक्ति की आवाज और परिचायक भी।
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