पर्यावरण अमूल्य धरोहर | Newsforum
©प्रीति विश्वकर्मा, ‘वर्तिका’, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
परिचय- अवध विश्वविद्यालय से 2017 में बीएससी किया, कोचिंग क्लास का संचालन.
निज स्वार्थ के चलते करते प्रकृति से छेड़खानी,
कभी बवंडर, चक्रवात, तो कभी आवे है सुनामी |
भोजन, आश्रय, लकड़ी देवे, और देवे हरियाली,
धरती का जेवर है तरुवर, काट करते हो खाली |
पर्यावरण असंतुलित होवे, होवे घन घोर अंधेरा,
प्राणवायु की कमी हो रही, ना होगा सुबह सवेरा |
वृक्षहनन करते आये हो, पेड़ ना कभी लगायॆ,
भूमिगत जल स्तर नीचे जावे, अक्सर बाढ़ है आवे |
कभी प्लास्टिक का ढेर लगाते, करते कार्बन उत्सर्जन,
ग्लोबल वार्मिन्ग बढ़ती, मौसम होवे प्रतिपल परिवर्तन |
प्राकृतिक आपदा आती रहती, कभी आये महामारी,
ना जाने कितनों की जानें,छीन ले गयी कोरोना बिमारी |
पर्यावरण अमूल्य धरोहर, आओ इसे बचायें,
अब ना आये ऐसा संकट, मिलजुल कर वृक्ष लगायें |