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आई होली आई होली | newsforum

©जबरा राम कंडारा, वरिष्ठ अध्यापक, जालोर, राजस्थान.

परिचय : शिक्षा- एमए, बीएड, हिंदी व राजस्थानी भाषा में साहित्य, लेख व कविता का प्रकाशन.


 

आई होली आई होली।

भर लाई खुशियों की झोली।।

 

चारों ओर छटा सुहावन।

रंग फैला हर घर आंगन।।

कोई रंग ले दौड़त है।

कोई पिचकारी छौड़त है।।

पति-पत्नी दोऊ रंग लगावै।

मानो प्रेम को रंग घोली।।

आई होली आई होली।।1।।

 

कही ढूंढ़ोत्सव द्वार सजे।

ढोल और शहनाई बजे।।

गौरिया गावे फागुन गीत।

शब्द-शब्द में झलके प्रीत।।

उमंग-गंग दिल भीतर बहै।

प्रेम-रंग मन देत झबोली।।

आई होली आई होली।।2।।

 

गांव-चौहटे नगरी-नगरी।

खुशियां बरसे लगी झरी।।

धूलंड़ी को रंग अंग पे।

गैरिया छैड़े सुर चंग पे।।

बालक खेले मोद मनावै।

करे परस्पर हंसी-ठिठोली।।

आई होली आई होली ।।3।।


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