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नारी के रूप रंग | ऑनलाइन बुलेटिन

©अशोक कुमार यादव

परिचय– मुंगेली, छत्तीसगढ़


 

 

 

यह नारी अर्धांगिनी जगत कल्याणी

कुरुक्षेत्र समर में सिंह वाहिनी रुद्राणी

सर्वजन हिताय विश्व रक्षिका जन्मभूमि

पतित पावनी चतुर्दिक सम्मोहिनी जननी

नारी: साहसी शक्ति शालिनी विश्व रक्षिका

सुन्दरी: रूप यौवन से सुसज्जित लतिका

श्रृंगार: आठों अंगों में धारण की आभूषण

स्वच्छंद: स्वयं मुक्त जीवन जीने की प्रतिरूपण

त्याग: स्वयं को समर्पित कर जीवन इच्छिका

ममता: अपने संततियों को दुलार करती रक्षिका

लक्ष्मी: धन की वर्षा करने वाली धातु की देवी

साहस: रग-रग में भरा बल की महा क्रांति देवी

तितली: मुक्त गगन में उड़ने वाली रंग-बिरंगी

चिड़ियां: फुदक कर चलने वाली उड़ती सतरंगी

अपराजिता: कभी ना हार मानने वाली युद्धकारिणी

स्नेह सुधा: प्यार अमृत की मधुर प्याली प्रदायिनी

क्षमा: गलतियों को भुलाकर माफ करने वाली

दया: निरीह प्राणियों पर करुणा की भाव रखने वाली

ममतामयी: नन्हे शिशुओं पर अपनत्व की भावना

उपकारणी: दूसरों की सदा सहायता कर कामना

सहयोगी: कार्यों में मदद करने वाली कार्मिक

सिद्धिदात्री: कौशल अर्जित करने वाली धार्मिक

स्वर्गिक: निकेतन को बनाती स्वर्ग से सुंदर

समाज सुधार: नई दिशा दिखाती जन को कुंदर

संस्कृति: सामाजिक गुणों के स्वरूप अंतर्निहित

संस्कार: मन, वचन और कर्म से पवित्र चिन्हित

सभ्यता: सकारात्मक, प्रगतिशील, उन्नत द्योतक

ज्ञान: संज्ञान अर्जित कराती अभ्यास विद्या बोधक

सत्य: परीक्षार्थी बन बार-बार सत्य की खोज

चंचल मन, कोमल बदन, फुलवारी सुवास, भोज

आधुनिका: नए जमाने की विकासशील प्रौद्योगिकी

सफलता, शांति, सुकून, पथ, आशा, लक्ष्य, अनुवांशिकी

सशक्तिकरण, ज्वलंत प्रश्न, श्रम, मंजिल, प्रेरणा, बल

आत्मनिर्भर, विचार, समानता, युग, संज्ञान, काल

भविष्य, खुशी, विवेक, प्रतिशोध, प्रहार, आवाज, गरिमा

आशीर्वाद, अस्तित्व, सम्मान, अधिकार, ज्योति, सीमा

ज्वाला, प्रतिभा, गीत, संगीत, कविता, नृत्य, सृजन, इच्छा

दुआ, कर्म, प्यार, मंदिर, इज्जत, पालनहारी, प्रकृति, परीक्षा


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