केशव | ऑनलाइन बुलेटिन
©राजेश श्रीवास्तव राज
परिचय– गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश.
ऐसे शब्द नहीं हिय में मेरे
जो कुछ भी मैं व्यक्त करूं
तुम तो हे केशव कुछ ऐसे ही हो
मैं क्या तुमको अभिव्यक्त करूं ”
“केशव वंदना”
मुकुंद बाल वंदनं
किशोर चंद्र नंदनं
विशाल नेत्र लोचनं
बाल कृष्ण अभिनंदन
वसुदेव देवकी सुता वरं
यशोमति मैया किशोरकं
बाबा नंद गोप सानंदया
सुदामा मित्र भयों वयं
समस्त पाप भंजनं
चित्त चोरकं भयं
नृप कंस क्रूर मर्दनं
मुरारी, दामोदर, नंदनं
अधर वंशी सदा धरं
गौ मातु पूजित वयं
सदा ही भव तारकं
राधा वरं नमं नमं
गजेंद्र मोक्ष दायकं
षोडश कला विभूषितं
वसुधा लोक कल्याणकं
गिरधारी, नथैया वंदनं
सुदर्शन चक्र धारणं
नाना असुर संहारकं
अनंतजीत, अनिरुद्ध हे
चतुर्भुज, लक्ष्मीकांतकं
मधुसुदन, महेंद्र, मनोहरं
मयूर पंख सदा सुशोभितं
पार्थ सारथी हे परम पुरुष
शंतह, श्रेष्ठ युग सर्वेश्वरं
सहस्रजीत, केशवं नमं
मनोहरं, श्याम सुंदरं
नमामि शीश सर्वदा
समस्त लोक पूजितं