कैसे करूं मैं श्रृंगार…
©गायकवाड विलास
परिचय- मिलिंद महाविद्यालय लातूर, महाराष्ट्र
मन में छाए बादल,
देखो भीगा है आंचल
अश्क नैनों से बहते,
कब रूक जायेंगे।
उठी यादों की लहरें,
रूक गई है बहारें ,
सुना सुना है आंगन,
तुम कब आओगे।
रूठी है कहां खुशियां,
बैरन हुई निंदिया ,
तुम बिन चैन खोया,
कैसे हम जियेंगे।
देखो छाई है उदासी,
हमें रूलाए बेबसी ,
कैसे करूं मैं शृंगार,
मांग कब भरोगे।
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