अब सैटेलाइट इंटरनेट से चलेगा जिओ का सिम ! कंपनी ने लांच किया जिओ स्पेस फाइबर, जाने डिटेल | Jio Space Fiber
Jio Space Fiber : Online Bulletin
Jio Space Fiber : ऑनलाइन बुलेटिन डेस्क | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन : Elon Musk की तरफ से भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस स्टारलिंक (Starlink) को लॉन्च करने की तैयारी की जा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि स्टारलिंक को 10 अक्टूबर तक भारत में अपनी सर्विस लॉन्च की मंजूरी मिल सकती है। इसके लिए स्टारलिंक की तरफ से केंद्र सरकार के पास एप्लीकेशन दिया गया है। लेकिन एलन मस्क की राह भारत में आसान नहीं होगी, क्योंकि स्टारलिंक के मुकाबले में जिओ ने एक बड़ा दांव चल दिया है।
यह एक वायरलेस इंटरनेट सेवा है, जिसमें इन्टरनेट सेवा प्रदान करने के लिये अन्तरिक्ष में स्थित उपग्रहों का इस्तेमाल किया जाता है. यह सैटेलाइट टीवी की तरह कार्य करता है, इसमें पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले कृत्रिम सैटेलाइट के साथ संचार स्थापित करने के लिए रेडियो तरंगों का उपयोग किया जाता है. वहीं डेटा के ट्रासंमिशन के लिए एक विशेष संचार नेटवर्क का उपयोग किया जाता है. सैटेलाइट टीवी की तरह इसमें भी उपयोगकर्ता को अपने घर में सैटेलाइट डिश लगानी पड़ती है. (Jio Space Fiber)
यह व्यवस्था हमारे द्वारा उपयोग किये जाने वाली भूमि आधारित इंटरनेट सेवाओं से बहुत अलग होती है, जिसमे तारों और फाइबर के माध्यम से डेटा संचारित किया जाता है. सैटेलाइट इंटरनेट सेवा में डेटा संचरण के लिये किसी तार की आवश्यकता नहीं होगी. इसके लिए सेवा प्रदाता जियो स्टेशनरी ऑर्बिट (GEO) या लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में उपस्थित सैटेलाइट का प्रयोग करते हैं.
इसमें यूजर्स को फाइबर और सेल टावर के मुकाबले ज्यादा आसान कनेक्टिविटी मिलती है. इसकी मदद से उन एरिया में भी सर्विस पहुंचाई जा सकती है, जहां फाइबर और सेल टावर की सर्विस नहीं पहुंची है. पिछले दिनों रिलायंस ने देश की पहली सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस Jio Space Fiber को लॉन्च कर दिया. यह सर्विस भारत के उन जगहों पर इंटरनेट सेवा देगी, जहां अभी भी इंटरनेट उपलब्ध नहीं है. जियो स्पेस फाइबर ने बता दिया है कि कैसे भारत इस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है.
वहीं जियो की इस सेवा की तुलना एलन मस्क के स्टारलिंक से भी होने लगी है, जो दुनिया के सुदूर इलाकों में लो-कॉस्ट इंटरनेट सेवा देता है. देखा जाए तो जिओस्पेस फाइबर और स्टारलिंक दोनों सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं हैं, लेकिन वे अलग-अलग ऑर्बिटिंग सैटेलाइट्स का उपयोग करती हैं. जहां जिओस्पेस फाइबर एमईओ (मीडियम अर्थ ऑर्बिट) सैटेलाइट्स का उपयोग करता है, वहीं स्टारलिंक एलईओ (लो अर्थ ऑर्बिट) सैटेलाइट्स का उपयोग करता है.
एलईओ सैटेलाइट्स पृथ्वी से 160 से 2,000 किलोमीटर ऊपर स्थित होते हैं, वहीं एमईओ सैटेलाइट्स धरती से 2,000 से 12,000 किलोमीटर ऊपर स्थित होते हैं. वे एलईओ सैटेलाइट्स से अधिक ऊंचाई पर होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे एक बड़े क्षेत्र को कवर करते हैं और ज्यादा बड़े क्षेत्र में एक सैटेलाइट सेवा दे सकता है. इस वजह से जिओ की सेवा हमे सस्ती पड़ेगी, वहीं स्टारलिंक महंगी पड़ेगी. लेकिन वहीं स्टारलिंक के सैटेलाइट्स धरती से नजदीक होने के कारण उनकी सेवाएं तेज होंगी, क्योंकि उसमें लेटेंसी कम होगी. (Jio Space Fiber)
हालाँकि अभी तक जिओ की सेवाओं का मूल्य हमें पता नहीं लगा है, वहीं स्टारलिंक की सेवाएं काफी महंगी हैं, ऐसे में हम कह सकते हैं कि जिओ इस मामले में स्टारलिंक को पीछे छोड़ सकती है, वैसे भी जिओ काफी काम दामों पर सेवाएं देने के लिए मशहूर है. जियो की ही तरह भारत की दूसरी सबसे बड़ी संचार कंपनी एयरटेल भी सैटलाइट इंटरनेट कनेक्टिविटी की दिशा में तेजी से काम कर रही है.
मोबाइल इंडिया कांग्रेस 2023 में भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने बताया कि अगले महीने तक वह वनवेब सैटेलाइट सर्विस शुरू कर देंगे . इससे दूरदराज के इलाकों में नेटवर्क कनेक्टिविटी मिलेगी, जहां अभी फाइबर ऑप्टिकल केबल मौजूद नहीं है. सुनील मित्तल का कहना है कि देश के करीब 20 हजार गांवों तक सैटेलाइट कनेक्टिविटी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. (Jio Space Fiber)
भारतीय कंपनियों की सेवा का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि स्टारलिंक जैसी विदेशी सेवा के कारण हमारे देश की सुरक्षा को खतरा भी नहीं होगा. उन पर कहीं ना कहीं नियंत्रण भी होगा, और देश विरोधी ताकतों को यह सेवा नहीं मिल पाएगी, जैसा स्टारलिंक ने यूक्रेन और गाज़ा में किया है.
भारत टेक्नोलॉजी के मामले में बहुत पिछड़ा हुआ माना जाता था, लेकिन अब हमारी कंपनियां नए नए क्षेत्रों में जा रही हैं, देश में तो सेवाएं दे ही रही हैं, विदेशों में भी उनकी सेवाएं बहुत मशहूर हो रही हैं. हमें पूरी आशा है कि सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट के क्षेत्र में भारतीय कंपनियों का एकाधिकार होने जा रहा है. (Jio Space Fiber)
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