मैं मजदूर हूँ………

©रामभरोस टोण्डे
परिचय- बिलासपुर, छत्तीसगढ़.
मजदूर राष्ट्र निर्माण के,
आधार स्तम्भ होते हैं।
मजदूर को सलाम ,
आज के दिन उनके नाम।
अमीरी में अक्सर अमीर ,
अपने सुकून खो देता है।
मजदूर खा के सूखी रोटी ,
बड़े आराम से सोता है।
मैं मजदूर हूँ ,
मुझे शर्म नहीं ।
अपने पसीने की खाता हूँ ,
मैं मिट्टी को सोना बनाता हूँ।
दिन भर मेहनत से,
ईमानदारी के बीज बोता है।
मजदूर इसलिए रात में,
सुकून से सोता है।