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सिर्फ उद्योग, व्यापार और कारोबार स्थापित करके नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने की बात अनुचित | ऑनलाइन बुलेटिन

©द्रौपदी साहू (शिक्षिका)

परिचय– कोरबा, छत्तीसगढ़, जिला उपाध्यक्ष- अखिल भारतीय हिंदी महासभा.


 

कोरबा | (छत्तीसगढ़ बुलेटिन) | नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने के नाम पर कितनी चर्चाएँ हो रहीं हैं, लेकिन क्या सही मायने में नवा छत्तीसगढ़ गढ़ रहे हैं? आज तक बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने का सिर्फ आश्वासन देते आ रहे हैं। कभी-कभार कुछ पदों की रिक्तियाँ निकालकर बचने की कोशिश भी जारी है। वर्तमान में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या काफी मात्रा में बढ़ गई है, जिन्हें अपनी जीविका चलाने के लिए रोजगार की आवश्यकता है परंतु सरकार उन पर ध्यान नहीं दे रही है।

 

कुछ सेक्टर या संस्था में भर्ती लेते हैं तो कुछ समय के लिए ही संविदा में लेते हैं और समय पूरा होने पर उन्हें फिर से कार्यमुक्त और बेरोजगार कर देते हैं। अधिकतर ऐसे भर्ती से युवा चिंता ग्रस्त रहते हैं कि संविदा भर्ती में काम करने के बाद समयावधि पूर्ण होने के बाद वे क्या करेंगे? घर की स्थिति विकट होने पर कई बेरोजगार युवा आत्महत्या कर लेते हैं। क्योंकि उन्हें अपना और अपने परिवार के सदस्यों के पालन पोषण के लिए कोई उचित साधन उपलब्ध नहीं होते हैं और मजबूरन वे मौत को गले लगा लेते हैं।

 

सिर्फ उद्योग, व्यापार और कारोबार स्थापित करके ही नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने की बात अनुचित है। नवा छत्तीसगढ़ तब बनेगा जब छत्तीसगढ़ में कुछ नया हो और छत्तीसगढ़ में निवास करने वाले हर वर्ग के हित के बारे में सोचा जाए। जनता में बेरोजगारी न हो, उनकी हर समस्या का समाधान उचित समय पर हो, हर विभाग पर समुचित निगरानी व कार्य हो, रोजगार प्राप्त लोगों को भी सही समय में नियुक्ति व वेतन प्राप्त हो और हर विभाग के सही रिपोर्ट समय-समय पर लेकर संबंधित विभाग की रिक्तियों को भरा जाए और उनके कार्यों पर भी उचित निगरानी रखी जाए ताकि किसी भी विभाग में पदस्थ होने के बाद वे निष्क्रिय न रहें और न ही कोई धोखाधड़ी हो।

 

बड़े-बड़े उद्योग और कारोबार स्थापित करके और कुछ लोगों को उन उद्योगों और कारोबार में रोजगार देकर बचने की कोशिश की जा रही है।  नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने की बात भी, एक आलीशान बंगला बनाने जैसा दिखावा ही है जो सिर्फ देखने में सुंदर होता है। उसकी सुंदरता तब बढ़ती है, जब उसमें रहने वाले लोग खुश व सुंदर हों।

 

जब कोई अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में भर्ती कराने जाता है तो देखता है कि वहाँ पाँच कक्षा के लिए सिर्फ दो शिक्षक ही उपलब्ध हैं, वह सोचने लगता है कि ऐसे स्कूल में बच्चा कैसे ठीक से पढ़ पाएगा? उसका ऐसा सोचना भी उचित है। यदि वह शिक्षित है तो सोचता है कि काश! मुझे यहाँ नियुक्ति मिल जाती तो मैं भी उनके विकास के लिए कोशिश करता। उन्हें पढ़ाता। इसी तरह सरकारी अस्पताल में इलाज कराने जब जाते हैं तो वहाँ नर्स व डॉक्टर की संख्या कम होती है और कभी-कभी वे भी अनुपस्थित मिलते हैं। ऐसा हमारा नवा छत्तीसगढ़ है! जहाँ रिक्तियाँ होने‌ पर भी वर्ष भर काम चला लिया जाता है! यहाँ रोजगार होने पर भी लोग बेरोजगार हैं और योग्य होने पर भी वे अयोग्य हैं।


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