जन-जन सेवा मुक्ति पथ | newsforum

©सरस्वती साहू, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
जन-जन सेवा मुक्ति पथ, गमन करे इंसान
भय, निर्बलता त्याग कर, रखो धरम का मान
मंदिर में मूरत मिले, अंतस में भगवान
तीरथ में क्यों ढूंढता, खोल नयन इंसान
सेवा रूपी पुष्प से, महके जग संसार
जन-जन सेवा मुक्ति पथ, करे जगत संचार
साझा कर तू प्रेम का, सेवा कर सत्कार
मुक्ति मिले जिस भाव से, धर ऐसा व्यवहार
सेवा करुणा भाव से, तरल करे पाषाण
उत्तम कारज कर सदा, त्याग मनुज निज प्राण
जन से में तृप्ति है, पुण्य परम उपकार
जन-जन सेवा मुक्ति पथ, आनंदित दरबार …