दोषी कौन…


©तिलक तनौदी ‘स्वच्छंद’
आज समूचा देश हर्षित है, उत्साहित है। चंद्रमा पर सफल उतराव हेतु पूरा देश वैज्ञानिकों को बधाई दे रहा है ,देना भी चाहिए वे सभी विज्ञान साधक बधाई के पात्र हैं। चंद्रमा की सतह पर उतरने में रॉकेट की अहम भूमिका रही है। इन्हीं रॉकेट वैज्ञानिकों में से एक नंबी नारायणन जी है। जिन्होंने भारत को ठोस ईंधन यंत्र से तरल ईंधन यंत्र की ओर लेकर गया। उनके लिए एक आवाज मेरी कमल से…
आपको अच्छा लगे तो सांझा कर उनके लिए एक आवाज उठाइए👏
अंतरिक्ष पर विजय के लिए,
रॉकेट अनिवार्य है।
जिस पर वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने,
किया महती कार्य है।
सन् उन्नीस सौ उनहत्तर में नासा से,
फैलोशिप अर्जित किए।
साथ ही साथ प्रिंसटन विश्वविद्यालय में,
पढ़ने हेतु प्रवेश लिए।
दस महीने के अंदर नंबी ने प्रोफेसर लुइगी क्रोको से
रासायनिक रॉकेट प्रणोदन सीखा।
अमेरिका में नौकरी का प्रस्ताव छोड़ वे,
तरल रॉकेट प्रणोदन विशेषज्ञता संग भारत में ही दिखा।
उस समय भारत हमारा,
ठोस प्रणोदन पर निर्भर था।
और कोई विकल्प नहीं ,
पर आगे बढ़ने का संकल्प था।
इसी बीच नंबी नारायणन ने,
तरल ईंधन प्रौद्योगिकी शुरुवात किया।
तत्कालिन इसरो अध्यक्ष सतीश धवन से,
विशेष प्रोत्साहन प्राप्त किया।
सन् उन्नीस सौ सत्तर में वे,
तरल प्रणोदन मोटर विकसित किए।
पहले छः सौ किलोग्राम के इंजन का,
इन्होंने निर्माण किए।
इसके उपरांत नंबी नारायणन ने,
बड़े इंजनों पर आगे बढ़े।
बनाकर विकास इंजन वैज्ञानिक,
भारत में नव इतिहास गढ़े।
जो आगे विकसित होकर आज,
चंद्रयान तीन को सफल किया।
पर दुख की यह है कि कल,
ऐसे वैज्ञानिक को मिथ्या आरोप से विफल किया।
सन् उन्नीस चौरानबे का,
वह दिन बड़ा भयानक था।
दोषारोपण से कैद हुआ,
नंबी नारायणन अचानक था।
देशद्रोही मान लोगों ने,
घर तोड़-फोड़ अपमानित किए।
माता-पिता पत्नी बच्चों को,
प्रशासन ने प्रताड़ित किया।
जान से खेलकर फ्रांस से जिसने,
देश हित में काम किया।
उस अभियंता वैज्ञानिक को,
पल भर में बदनाम किया।
घर-परिवार कष्ट से सहमे,
हृदय विदारक था वह दिन।
बड़ी मुश्किल से बिताए,
एक-एक पल गिन-गिन।
सन् उन्नीस छियान्बे में,
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने
आरोप खारिज किए।
उच्च न्यायालय ने सन् उन्नीस सौ अट्ठानवे में,
उनको निर्दोष घोषित किए।
कहा गया उनको कि अब,
आप सभी को क्षमा करें।
“मैं क्षमा नहीं कर सकता”,
वे विनम्र भाव से बोले।
जो दोषी है उसे पकड़,
सरकार भेद को खोले।
वे तो है निर्दोष मगर
बताओ आखिर दोषी कौन?
केरल सरकार नंबी की सुध लो,
उन्हें न्याय दो, रहो मत मौन।
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