जय बजरंगी…

©उषा श्रीवास, वत्स
तु ही मेरा साथी तु ही मेरा सखा
तुझसा प्यारा संगी और हैं कहां।
तु ही मित्र मेरा तु ही मेरा सहारा
तुम बिन कोई न हमारा।
पग-पग राह तुने दिखाया
कठिन सफर को सरल तुने बनाया।
जब-जब मैं रोया तुने हँसाया
जिन्दगी को मेरी तूने सँवारा।
सच्चा मित्र होने का सारा फर्ज निभाया
मैंने हर मोड़ पर तुझको खड़ा पाया।
जितना सादा मुख मंडल है
और बजरंगी है काया।
तूने राम-लखन को हृदय बसाकर
सीता को माता रूप में पाया।
जन-जन के हृदय बसे हो
धन्य-धन्य तुम अंजनी के लाला।

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