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बेटी है जंजाल नहीं | ऑनलाइन बुलेटिन

©डीआर महतो “मनु”

परिचय- रांची, झारखंड


 

सुनो ओ मेरी रानी, हर्षित मन की सुहानी,

आओ बैठो पास हमारे, सुनो मेरी कहानी।

ना कभी रूठा करती, ना कभी करती नादानी,

करती है वो चालाकी, हमारी बिटिया रानी।

 

करती है हमसे जुगलबंदी, गजब की हंसी ठिठोली,

सब काम करती जल्दबाजी, ना कभी रोती।

देखो है कितनी अज्ञाकारी, ना करना कभी नादानी,

बेटी है जंजाल नहीं, सदैव मन लुभाती।

 

कितनी सुंदर है दिखती, ठुमक ठुमक कर चलती,

नित्य सवेरे ही उठती, खूब सजती संवरती।

सबसे दक्षता से बोलती, सदा मस्ती में रहती,

अधूरा कभी ना छोड़ती, कितनी है जज्बाती।

 

कर देंगे उसकी शादी, जब हो जायेगी बड़ी,

कराएंगे पढाई लिखाई उसकी, वादा है मेरी।

देंगे पूरी संस्कार हमारी, ना रखेंगे कभी उधारी,

सुनो राधा की मम्मी, मानो जज्बात मेरी।

 

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