धरती के भगवान…

©उषा श्रीवास, वत्स
गौरव हैं सामाज के ये
है सारे जग में इनकी शान,
कभी न करना शक इन पर
ये हैं धरती के भगवान।
बिना जाँत धर्म पूछे निशदिन
हैं मदद को ये आते,
पेशे से हैं डॉक्टर
धरती पर भगवान कहाते।
दवा-दुआ जिन्दगी इनसे भाई
तुम क्यूँ इनको मक्कार बुलाते,
करते हैं लोगों की जी-जान से सेवा
नही कभी दोहरी मानसिकता
अपनाते।
मात-पिता घर परिवार भी होते इनके
होली-दीवाली मरीजों संग मनाते,
हैं मान-सम्मान के अधिकारी
किन्तु जाने-अनजाने अपमान ही पाते।
झाँक कर देखो हृदय में
क्यों झूठे आरोप लगाते,
अप्रदर्शित स्नेह सागर हैं
फ़िर भी कड़वे जहर का घूँट पी जाते।
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