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कर मानव से प्यार | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©प्रियंका सौरभ

परिचय- हिसार, हरियाणा.


 

 

कर मानव विचार ।

मानव रूप है ईश्वर का,

कर मानव से प्यार।।

 

जग में कुछ नहीं तेरा,

फिर क्यों ये तेरा मेरा ।

आखिर सांसे खोल छोड़ेगी,

छूट जाएगा ये बसेरा ।।

छोड़ यहां से जाएगा,

संगी साथी यार ।

कर मानव से प्यार ।।

 

पढ़े तूने गीता और वेद,

गए न तेरे मन के भेद ।।

सुबह शाम की तूने पूजा,

मनवा नहीं हुआ सफेद ।।

ढ़ाई अक्षर प्रेम के,

लाये जीवन में झंकार ।

कर मानव से प्यार ।।

 

दुखियों को गले लगा ले,

बेगानों को भी अपना ले । ।

मोह माया के बंधन तोड़,

सद्भावों के नगमें गा ले । ।

समझ पराया दुख अपना,

गिरा घृणा की दीवार ।

कर मानव से प्यार ।।

 

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