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मुझको बस यह जानना है कि … | ऑनलाइन बुलेटिन

©गुरुदीन वर्मा, आज़ाद

परिचय– गजनपुरा, बारां, राजस्थान.


 

 

जी, ऐसा मैं सोचता भी नहीं हूँ,

जो मैं सोचता हूँ वो कुछ और है,

जो अपेक्षायें है तुमसे,

जो विशेषतायें है तुझमें,

देखता हूँ मैं इनको,

सोने की तरहां कसौटी पर।

 

मुझको यह नहीं देखना कि,

कितनी शक्ति है तुझमें ?

मुझको सिर्फ यह देखना है कि,

कितनी शर्म है तुझमें ?

कितनी वफादारी है तुझमें ?

कितनी समझदारी है तुझमें ?

 

मुझको मतलब नहीं इससे कि,

कितनी दौलत है तुम्हारे पास ?

कितनी सुंदर सूरत है तुम्हारी ?

किस जन्नत में है तुम्हारा घर ?

और क्या हस्ती है तुम्हारी ?

 

मुझको बस यह जानना है कि

कितनी देशभक्ति है तुझमें ?

कितनी सच्चाई है तुझमें ?

कितना बहता है खून तुम्हारा ?

जख्म वतन पर होने पर ,

मुझको बस यही जानना है तुझमें।


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