मैं नन्हीं चिड़िया | ऑनलाइन बुलेटिन
©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़
परिचय– मुंबई, आईटी सॉफ्टवेयर इंजीनियर.
विश्व गौरैया दिवस पर विशेष
मैं नन्हीं चिड़िया झाँक रहीं हूँ
अन्न की खोज में ताक रहीं हूँ।
धूप है यहाँ बड़ी शिद्दत की,
दो बूँद पानी तलाश रहीं हूँ।
आँखों में देखो, छाई है नमी,
हो गयी दाना-पानी की कमी,
सूखने लगा है अब मेरा गला,
अब तक पानी नहीं मिला।
पहले छत पे रखते थे पानी,
कहती थी मुझसे मेरी नानी,
अब सब भूल गए यंत्र संग,
बनकर रह गयी एक कहानी।
ये तपिश ये लहर जैसे कहर,
वीरान सा लगता है अब शहर,
निराशा जाग रही है मन में,
बीतने लगा है अब ये पहर।
पंख से फिर भरना है उड़ान,
अपने बच्चे को देना ज्ञान,
दो कटोरी पानी रखें,
पुण्य मिले, बचे जब जान।