नानकशाह | Onlinebulletin.in
©अशोक कुमार यादव ‘शिक्षादूत’, मुंगेली, छत्तीसगढ़
सिख धर्म के प्रतिष्ठाता, सिखों के प्रथम गुरु।
वर्णाश्रम के विरोधी, निर्गुण ब्रह्म जप शुरू।।
कर्मकांडों से मतभेद, धार्मिक उपासना बल।
महला प्रकरण वाचा, सबद सलोक सकल।।
उदार और विचारशील, शांत चित्त वाले संत।
सांसारिक माया त्याग, धर्म प्रचार नेक पंथ।।
साधु और सन्यासी संग, दिशाओं में यात्राएं।
रूढ़ीवादी,जाति संकीर्ण, खंडन करते बाधाएं।।
अनाचारों के प्रबल द्वेषी, संगत व पंगत रीति।
गुरुद्वारे में सर्व जाति को, कराते भोजन प्रीति।।
अद्भुत कर्म,मानवता धर्म, उच्च है भक्ति भावना।
सर्व धार्मिक विचार श्रद्धा, नाम जप की महिमा।।
संसार की क्षणभंगुरता, प्रबल माया की शक्ति।
आत्मज्ञान की जरूरत, गुरु अनुकंपा की भक्ति।।
सात्विक कर्मों की प्रशंसा, ज्ञानवाणी की आग्रह।
हंस भक्त मोक्ष की नीति, गुरु ग्रंथ साहिब संग्रह।।
अब सुनो नाना की वाणी, जपुजी दर्शन का सार।
हिंदी,फारसी और पंजाबी, मिश्रित भाषा है अपार।।
राग-रागिनियों में पद गाओ, मन-वचन-कर्म से शांत।
ज्ञान उपदेश करो धारण, कोई जीव न होगा क्लांत।।