एक धनुष- एक बाण | ऑनलाइन बुलेटिन
©अशोक कुमार यादव
परिचय- मुंगेली, छत्तीसगढ़.
जीवन युद्ध में लड़ अकेला,
लेकर हथेली में अपनी प्राण।
एक मौका मिलेगी जीत की,
पास है एक धनुष एक बाण।।
देर ना कर अब जाग जा वीर,
निरंतर करता चल तू अभ्यास।
मन को एकाग्र कर ध्यान लगा,
रखना सीख खुद पर विश्वास।।
तम गुफा में बंदी बनकर बैठा,
घिर गया आतताईयों के बीच।
मुझे दे रहे थे बिजली के झटके,
रुकने का नाम नहीं लेते नीच।।
कहा,क्यों नहीं पढ़ता ज्ञान ग्रंथ?
समय को बर्बाद करता है व्यर्थ।
झूठी शान और शौकत है तेरी,
तुम्हारे जीवन का नहीं है अर्थ।।
छोड़ दिए मुझे बोध बाण देकर,
धनुष पोथी से करो लक्ष्य भेदन।
मैं कर्म करूंगा अब तन्मयता से,
जीत होगी आनंद का आस्वादन।।
ये भी पढ़ें :