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संविधान दिवस व महात्मा ज्योतिबा फुले परिनिर्वाण दिवस की पूर्व संध्या पर सम्यक संस्कृति साहित्य संघ का कवि सम्मेलन | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

लखनऊ | [उत्तर प्रदेश बुलेटिन] | सम्यक संस्कृति साहित्य संघ, अलीगढ़ के बैनर तले संविधान दिवस और राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले के परि निर्वाण दिवस की पूर्व संध्या पर सम्यक कवि सम्मेलन एवं परिचर्चा का आयोजन गूगल मीट के माध्यम से 27 नवंबर को किया गया। इस ऑनलाइन कवि सम्मेलन और परिचर्चा में देश भर के सैकड़ों कवियों, लेखकों और श्रोताओं ने भाग लिया।

 

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. विष्णुकांत अशोक ने की तथा सफल संचालन डॉ. संतोष पटेल ने किया। कार्यक्रम का प्रारंभ संविधान की प्रस्तावना और महात्मा ज्योतिबा फूले द्वारा रचित गुलामगीरी पर परिचर्चा के साथ हुआ। कार्यक्रम में कवि सम्मेलन का आगाज युवा कवि और दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधार्थी वीरेश कुमार ने ‘हल की मूठ पकड़ दादा’ शीर्षक रचना के साथ हुआ। छत्तीसगढ़ से राकेश कुशवाहा ने ‘जिस दिन हम अखबार छापेंगे’ शीर्षक नामक रचना सुनाकर वर्तमान मीडिया पर सवाल खड़ा किया। उन्नाव उत्तर प्रदेश से रावेंद्र कुमार ने ‘बाबा तुमने जो दिया है’ रचना सुनाई।

 

छत्तीसगढ़ से युवा कवियित्री जलेश्वरी गेंदले ने ‘मेरे भारत का संविधान’ रचना सुनाई। युवा कवि और आलोचक प्रदीप ठाकुर ने भाषा बोली और आवाज शीर्षक से अपने रचना प्रस्तुत की। वरिष्ठ कवि और लेखक अजय यतीश ने’ ऐतराज’ शीर्षक से अपनी रचना को प्रस्तुत किया। मथुरा से डॉ. बुद्धिराम गौतम ने सुरमई आवाज में बहुजन के भगवान नामक रचना प्रस्तुत की जिसे सुनकर सभी श्रोताओं ने तालियों से अभिवादन किया और सभी ने एकजुटता के साथ सराहा।

 

गुजरात से डॉ खन्ना प्रसाद अमीन ने’ हमें नहीं लड़ना है’ रचना प्रस्तुत की। वरिष्ठ कवि आर पी सोनकर द्वारा’ कारवां कोई नहीं है अम्बेडकर के बिना’ रचना को सुरमई आवाज के साथ प्रस्तुत किया। एन प्रीति बौद्ध ने’ आज सर्वश्रेष्ठ दिवस है’ रचना सुनाई तथा मथुरा से ओज कवि सिद्धार्थ प्रकाश ने करो पहला प्रमाण महामानव के नाम रचना को प्रस्तुत किया। अंत में संचालक डॉ. संतोष पटेल ने’ मैं अम्बेडकर हूं’ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की जिसकी सभी ने भूरि भूरि प्रसंशा की।

 

आर एस आघात ने ‘ये मेरा संविधान है ये मेरा संविधान है’ रचना को सुनाया। अन्य काव्यपाठ करने वालों में प्रतिभा, इंदु रवि, देव प्रसाद पात्रे, विभा तेलांग, तिलक तनौदी, राकेश कुमार रहे। डॉ. विष्णुकांत अशोक द्वारा अध्यक्षीय भाषण के साथ सुरमई रचना’ संविधान मेरे बाबा की देन है’ को सुनाया। कार्यक्रम के अंत में सम्यक संस्कृति साहित्य संघ, अलीगढ़ की महासचिव एन प्रीति बौद्ध कार्यक्रम में उपस्थित हुए सभी सम्मानित कवियों, लेखकों का धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया।

 

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