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कागज, कलम, दवात | newsforum

©सरस्वती साहू, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

अक्षर अक्षर को नित गढ़े, कागज, कलम, दवात

शब्दों को साकार करे, लाता ज्ञान प्रभात

छाप छोड़ते भाव का, चर्चा और संवाद

लिखे लगन से आप जी, कागज, कलम, दवात

परिभाषित उल्लेख करे, शब्दों को आसान

युगों-युगों का सार है, अपना वेद पुरान

कागज, कलम, दवात की, भारी महिमा यार

एक दूजे के संग में, छपते वो हर बार

छूट गया संग तो कभी, शब्द न हो साकार

कागज, कलम, दवात की, महिमा अपरम्पार


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