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बरसांइत | Newsforum

©सरस्वती साहू, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

चल ओ दीदी! बर के पूजा करे जाबो

बरसाँइत म, आसीस बर के सुघ्घर पाबो

 

पबरित करले तन-मन नहाके

यम ल सुमर ले जल ल चढ़ाके

धरले साज, सँवागा, सिंगार

जाबो चला तरिया के पार

बर देवता ठाढ़हे ओ किनार

सुनथे भगत के पुकार

चना, लडुवा, पपची के भोग ल लगाबो

बरसाँइत म, आसीस बर के सुघ्घर पाबो….

 

नरियर, बरवा, टिकिया चढ़ाबो

सेंदूर मांघ म बर के लगाबो

साबित्री कस देवय सुहाग

जागे सुहागिन के भाग

बरम्हा,बिसनु,महेस पेड़ बर म

बिराजे हे चारो धाम बर म

दीया, बाती, परिकरमा लगाबो

बरसाँइत म, आसीस बर के सुघ्घर पाबो…..

 

चल ओ दीदी! बर के पूजा करे जाबो

बरसाँइत म, आसीस बर के सुघ्घर पाबो …


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