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बारिश | ऑनलाइन बुलेटिन

©डॉ. वृंदा साखरकर, बहामास

परिचय:- गायनॉकॉलॉजिस्ट, जन्म महाराष्ट्र में हुआ, अमरीका में रहते हैं, आपने युनो में 1993 में दलितों पर अत्याचार तथा उत्पीड़न के ख़िलाफ़ पेपर पेश किया था।


 

 

आज की बारिश अलग है कलसे

कल सकुचा रही थी मन ही मन

आज बरस रही है दिल से

 

क्या ये बारिश वो ही है

जो तुम्हें हमें थी साथ भिगायी

या समय के साथ ये भी है भरमायी

 

उस बारिश में एक तान थी

एक लय और थिरकन

कुछ कहते लबों पर तुम्हारे यें ओढ़ गयी थी चिलमन

 

उस चिलमन के पीछे दबी हुयी

तुम्हारी मुस्कान की अंगड़ाई

मेरे अलसाये मन में बजाती है आज भी शहनाई

 

फुहार हो या बौछार

तन मन को भीगो देती है ये बारिश

तुम दूर हो या पास

तुम में मुझे घुला देती है ये बारिश

 

ऐसे लगा था कि अलग है ये बारिश कलसे

जो न सकुचा बरस रही है दिल से

 

लेकिन बारिश तो आख़िर बारिश है

कल भी उसने हमें भिगाया था

और हम भीगे थे प्यार में सराबोर

 

आज भीगो रही है हमें अलग- अलग ; साथ- साथ

ये बारिश बरस के बेतहाशा दिल से

हमें एक दूजे में घुलाने के लिए …

 

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