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सावित्रीबाई फुले ….

©पूनम सुलाने-सिंगल

परिचय- श्रीनगर से….


 

 

मिले अधिकार शिक्षा का सामान

खातिर इसके समाज से लड़ती रही।

अज्ञान के अंधकार को मिटाने

पूरी उम्र तुम बन ज्योति जलती रही।

 

कर्म पथ पर नित्य अपने

जो बिना ठहरे चलती रही।

बालिका शिक्षा के थे जो विरुद्ध

विरोध उनका पूरी उम्र सहती रही।

 

शिक्षा की शक्ति से बेजान पंखों में

ऊंची उड़ान के हौसले भरती रही।

पढ़ाने के खातिर बेटियों को

दिन रात मेहनत करती रही।

 

बनकर अध्यापिका पहली

ज्ञान अक्षरों का बेटियों को देती रही।

बनकर सरस्वती ज्ञान की

शिक्षा का वरदान सभी को देती रही।

 

नहीं लिख पाते गुणगान में शब्द तुम्हारे

जो अक्षरों का ज्ञान तुमने न दिया होता।

आज भी अज्ञान की जंजीरों में होते हम

शिक्षा का पहला कदम जो तुमने न उठाया होता।

 

सावित्रीबाई फुले पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन …

 

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