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धुऑ | ऑनलाइन बुलेटिन

©राजेश कुमार बौद्ध

परिचय-   गोरखपुर, उत्तर प्रदेश


 

तख्त पर लेटा- लेटा

अपने गुनाहों को याद

कर रहा था।

उसने न जाने

कितने असहाय लोगों पर

जुल्म किया था

जिसने दूसरों के घरों

को धुऑ- धुऑ किया था ।

आज खुद को

उसकी सारी जिंदगी

अन्धकारमय हो गयी थी।

दूसरों की जिंदगी में

जो धुऑ भरते हैं,

उनकी सारी जिंदगी

धुएँ में बितानी पड़ती हैं।

साथ ही साथ

उनकी पीढ़िया भी

इसी धुएँ में समा जाती हैं। ………

 

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