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चलो फिर इक सुबह उठते हैं | Newsforum

©राहुल सरोज, जौनपुर, उत्तर प्रदेश


 

 

 

बहुत किए हमने चांद तारों से बात,

जागे जाने कितने काली रातों के साथ,

चलो उजली फजर के साथ जगते हैं,

चलो फिर इक सुबह उठते हैं।

 

उगते सूरज से अपना सच कहने,

सर्द हवाओं के कुछ पल संग बहने,

शुरू से दिन की शुरुआत करते हैं,

चलो फिर इक सुबह उठते हैं।

 

चलो चुनते हैं कुछ फूलों की चमक,

सुनते हैं कुछ पक्षियों के चहक,

रात को रात दिन को दिन कहते हैं,

चलो फिर इक सुबह उठते हैं।


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