मां; Maa तुम महान् हो…

©हरीश पांडल, विचार क्रांति
मां हमें तुम दुनिया में
लाती हो,
मां हमें तुम जीना भी
सिखाती हो,
हम नेक इंसान बने, तुम
ही बताती हो,
मां, हमें तुम दुनिया में
लाती हो, (Maa)
प्रथम पाठशाला बच्चों की,
मां होती है
खामोशी से कष्टों को स्वयं
सहती है,
बच्चों को सुख दे जाती है,
मां तुम महान् हो
हम बच्चों की जान हो
तुम निस्वार्थ सेवा
करती हो
विपदा कुछ भी आये, तुम
नहीं डरती हो (Maa)
समस्याएं कितनी भी आये
हमें नहीं बताती हो
मां, हमें तुम दुनिया में
लाती हो(Maa)
मां के दूध का कर्ज कोई
नहीं चुका सकता
मां का उपकार कोई नहीं
भुला सकता,
सारी दुनिया जिनके
नतमस्तक है, (Maa)
मां बच्चों की रक्षक है
मां सारी दुनिया का
ताज है
मां है तो समाज है
मां है तो आज है,
मां पर सबको नाज है(Maa)

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