मां के चरण है स्वर्ग के द्वार | Newsforum
©प्रीति विश्वकर्मा, ‘वर्तिका’, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
परिचय: अवध विश्वविद्यालय से 2017 में बीएससी किया, कोचिंग क्लास का संचालन.
मां को क्या बयां करूं, जिसने किया मेरा निर्माण ,
हे देवी! तुझे प्रणाम, तू ही तो मेरे अस्तित्व का प्रमाण |
सर्वप्रथम तुझको जाना, तेरी कोख में बिताये नव मास ,
भ्रूण से शिशु वही बनें, जन्म से पहले ली यही श्वास |
पालन पोषण करती, नीन्द ना आये तो घंटों लोरी गाती ,
मां! देव तरसते प्यार को तेरे, ममता का गुण सृष्टि गाती |
प्यार दिया, संस्कार दिया, खुशियों का संसार दिया,
पापा संग तूने मां!, नन्ही सी जान को इतना बड़ा किया |
संग रहे मां तू हमेशा हमेशा, बना सदैव ये विश्वास रहे,
कुदरत का तू अजीब करिश्मा, तेरे रहते गम ना पास रहे |
सम्मुख जिसके दुख थर्राये, आंचल से अपने ज्यो ओढाये,
चलना ऊंगली पकड़ सिखाये, खुद पर हमॆ विश्वास दिलाये |
मां! बड़े हुये तो दोस्त बनीं, अन्तर्मन तक टटोलने लगी,
छुपा ना पाये इनसे कुछ भी, मन ही मन सब जानने लगी |
मां को बनाकर भगवान हर्षाये, ये जग को देगी आधार,
नित सेवा जो करे मात की, मां के चरण है स्वर्ग का द्वार |