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बहती ख़ून की नदियां…

©गायकवाड विलास

परिचय- लातूर, महाराष्ट्र


 

जो कोई मेरे दिल की आवाज़ सुन लें तो,

जरा घर के बाहर अपनी निगाहों से देखिए।

अपने वतन का तिरंगा लेकर आया हूं मैं यहां पर,

उसी तिरंगे की पुकार तुम भी जरा सुन लीजिए।

 

गौर से देखो तुम कभी उस लहराते तिरंगे को,

उसी तिरंगे में नज़र आयेगी तुम्हें उन शहिदों की तस्वीरें।

अपनी मातृभूमि के लिए जिन्होंने बहाया अपने लहू का कतरा कतरा,

उन्हीं की आरज़ू को तुम नज़र अंदाज़ ना कीजिए।

 

रंग तिरंगे में समाए हुए तुम सभी देखो,

कैसे वो तीनों रंग हमारे तिरंगे की शान बढ़ाते है।

नहीं है कोई उसी तीनों रंगों में भेद-भाव वहां पर,

वही तीनों रंग अखंड एकता का संदेश हमें देते है।

 

धरती हरी-भरी मिट्टी का रंग काला और आसमां है नीला,

उसी रंगों को भी देखो हमने यहां कैसे बांट लिया है।

एक ही मिट्टी की गोद है यहां,सभी की आखरी मंजिल,

और कफ़न का रंग कभी किसने यहां बदल डाला है।

 

जो कोई मेरे दिल की आवाज़ सुन लें तो,

जरा घर के बाहर अपनी निगाहों से देखिए।

वो इतिहास के पन्ने भी साथ लेकर आया हूं मैं यहां पर,

उसी पन्नों पन्नों पर बहती ख़ून की नदियां जरा देख लीजिए – – –

 

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