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पराशक्ति | ऑनलाइन बुलेटिन

©संतोष यादव

परिचय- मुंगेली, छत्तीसगढ़.


 

पराशक्ति है नाम तुम्हारा ,

शिव जी है स्वभाव तुम्हारा ।

शिव और शक्ति एक है,

दोनों की भक्ति विशेष है ।

नौ रूप है ; जगत जननी तुम्हारे,

ब्रह्मांड की शक्ति है कार्य तुम्हारे ।

शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा कूष्मांडा स्कंदमाता,

कात्यायनी कालरात्रि महागौरी सिद्धिदात्री दाता ।

कर लो भक्तों पूजा इसकी , नहीं है ;

संसार में कोई दूजा ऐसी ।

सबको मनोवांछित फल है देते ,

भक्तों के सब दुःख , पीड़ा हर लेते।

सबके शरीर में है वास तुम्हारा ,

अब थक चुका हूं एक आश है तुम्हारा ।

सब बंधन को तोड़ के माता ,

दे दो मुझे भाग्य विधाता ।

बस यही वर मां मैं मांगता हूं ,

आगे बढ़कर तुम अपने ।

ममता की आंचल में ,

मुझे छिपा लो मां।

अज्ञानी हूं मैं बालक ,

अपने हृदय से लगा लो मां।

दया करो हे! करुणामयी ,

अपने अंतर्मन में समा लो मां।

 

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