.

विद्यालय खुलवा दो | Onlinebulletin

©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़, मुंबई

परिचय- लेखिका राष्ट्रीय स्तर की रचनाकार हैं, उनकी कहानियां, लेख, काव्य आदि का प्रकाशन नियमित तौर पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में होता रहता है.


 

विद्यालय फिर से खुलवा दो।

बाहर की थोड़ी सैर करा दो।

दोस्तों की आती है याद,

शिक्षक के दर्शन करा दो।

 

पैसे वाले तो ऑनलाइन पढ़ रहे।

हम अब भी, घर में लड़ रहे,

मनु ने छीनी, गाड़ी मेरी,

ज़िद पे सब है अड़ रहे।

 

कब तक ऐसा हाल रहेगा?

मन करता सवाल रहेगा।

मस्ती, पढ़ाई सब छूट गया।

कब तक आखिर ये बवाल रहेगा।

 

विद्यालय फिर से खुलवा दो।

घण्टी ज़रा फिर से बजवा दो।

सूना- सूना लगता है गांव।

बाबा मुझे पढ़ने भिजवा दो।


Back to top button