सुनो मेरी कहानी suno meree kahaanee
©अनिल बिड़लान
परिचय : कुरूक्षेत्र, हरियाणा.
फुर्सत के हो क्षण तो
सुनो मेरी कहानी
मैं एक वृद्ध दरखत हूँ
मैं सदा हरा भरा रहा हूँ
इसे मेरा भाग्य कहो
या मेरी जिजीविषा
मैं अब तक धरा पर रहा हूँ।
मेरी शाखाओं पर लटक रहे
घोसलों की देख बनावट
पक्षियों की खुशीयों संग झुम रहा हूँ
मेरे शिखर के पत्तों तक
अठखेलियाँ करती फिरती
नन्नी नन्नी गिलहरियों का
रैनबसेरा सदा बना रहा हूँ
तपती दहकती दोपहरी में
राहगिरों के लिए
ठंडी सराय बना हूँ
अनगनित जीवों के लिए
जलती झुलसती लू में
सुसताने के लिए
शीतल छाँव देता रहा हूँ
ग्लोबल वार्मिंग के
इस नूतन युग में तो
मेरा योगदान एवं महत्व
ओर भी बढ़ाता जा रहा हूँ
जीवनदायक आक्सीजन
लुटा रहा खूब पत्ते पत्ते से
मैं विषाक्त गैसे सोख रहा हूँ
उम्र का ये पड़ाव डरा रहा है
क्योंकि इंसान अब
इंसानियत भूलते जा रहा है
लेकर कुल्हाड़ी हाथों में
प्रतिदिन मेरे नौजवान
फलते फूलते हरे भरे वृक्षों की
निज स्वार्थ में बलि चढ़ा रहा है
इस संताप में क्षण क्षण मर रहा हूँ
अब धरा पर निःसन्तान हो रहा हूँ।
संरक्षित कर सकते हो तो कर लो
मेरी नस्ल, जल ,जंगल जमीन को
रक्षा करेंगी ये सब मिलकर तुम्हारी
तुम्हें सचेत कर मैं वचन दे रहा हूँ
ये कहानी यहीं समाप्त कर रहा हूँ।
Anil Birlan, Haryana
listen my story
happy moments
listen my story
i am an old tree
i’m always green
call it my fate
or my life
I am still on the ground.
hanging on my branches
looking texture of nests
swinging with the joy of birds
to the top of my leaves
fidgeting
nanny nanny squirrels
I am always making a shelter
in the scorching afternoon
for passers-by
make a cold inn
for countless creatures
in the burning heat
to relax
giving cool shade
of global warming
in this new age
My Contribution and Importance
am going further
vital oxygen
plucking a lot of leaves from the leaves
I’m sucking up toxic gases
This stage of age is intimidating
because man now
humanity is forgetting
with ax in hand
everyday my young
blooming green trees
sacrificing selfishness
dying moment by moment in this anguish
I am now childless on earth.
save if you can
My race, water, forest land
Together they will protect you
I promise to warn you
I am ending this story here.