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दीपक …

©सरस्वती साहू, (शिक्षिका), बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

 

दीपक जलता है,

नित सबके सम्मान में

धन्य धन्य तू दीपक,

ख्याति तेरा जहान में

 

हर्ष हो उल्लास हो या

शोक, पर्व, धर्म स्थान

दीप प्रज्वलित होता है

चाहे मंदिर हो या श्मशान

 

दीपक तेरे प्रकाशपुंज में,

शुभता का होता वास

अंधकार मिटाकर सकल जगत में

भरता पुंज प्रकाश

 

शुभ कारज करने से पहले,

दीप प्रथम जलाते हैं

ईश्वर के प्रतिरूप समझ,

कर जोड़ माथ नवाते हैं

 

देव पूजन हो या मानव श्रद्धांजलि

सबके आगे जलता है

दीपक तेरे बिन सदा

तमस विकट खलता है

 

प्रभावान बना दे

जलता हुआ एक दीपक

प्रकाशमय बना दे

आत्मस्थ का एक दीपक …

 


 

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