प्रकृति prakrti
©पुष्पराज देवहरे भारतवासी
परिचय– रायपुर, छत्तीसगढ़.
प्रकृति को लोग, किस तरह सजाये जा रहें है
ऊँचे पेड़ों को काटकर, गार्डन बनाये जा रहें है ||
हर – रोज कट रही है, निर्ममतापूर्वक लाखों पेड़
तूफानों सैलाबों का दोष, ईश्वर पर लगा रहें है ||
पूर्वजो ने सिखाया था, प्रकृति को सदा संवारना
पूर्वजों को दिये वादे को, किस तरह निभा रहें है ||
तुमने चंद पैसे के लिये सारे जंगल उजड़वा दिये
कोरोना में दूसरे देश से ऑक्सीजन मंगा रहें है ||
पेड़ कट गये जंगल उजड़ गये,जीव जंतु बेघर हुये
गाँवो, शहरों में मार- मार के, हाथी बंदर भगा रहें है ||
Pushpraj Deohare Bharatwasi
Nature
How people are decorating nature
Gardens are being made by cutting tall trees.
Millions of trees are being cut ruthlessly every day
The blame for the storms is on God.
The ancestors had taught, to always beautify the nature
How are we fulfilling the promise given to the ancestors?
You destroyed all the forests for a few pennies
Oxygen is being sought from other country in Corona.
Trees were cut, forests were destroyed, animals became homeless.
Elephants are driving away monkeys by beating them in villages, cities.