मेरी बेटी का सोलह श्रृंगार | ऑनलाइन बुलेटिन
©असकरन दास जोगी, अतनू
परिचय– बिलासपुर, छत्तीसगढ़
मेरी अजन्मी बेटी
जब जन्म ले
तो उसके पास
सोलह श्रृंगार के लिए
शिक्षा
स्वतंत्रता
स्वाभिमान
अभिव्यक्ति
न्याय
अधिकार
समानता
नैतिक कर्त्तव्य
आत्मरक्षा
आत्मनिर्भरता
ममता और प्रेम
दूरदर्शिता और लक्ष्य
स्वनिर्णयन क्षमता
महत्वाकांक्षा और धीरज
साहस और आक्रोश
प्रतिष्ठा और सम्मान
होना चाहिए
श्रृंगार की वस्तुएँ
तो बाद की बात है
और ऐसा न हो…
तो मैं पिता किस बात का ?