आंसू की बारात | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©डॉ. कान्ति लाल यादव
परिचय- असिस्टेंट प्रोफेसर, उदयपुर, राजस्थान.
मन के मेल को धो देती हैं।
जरा आखों को भी पढ़ लेते तुम
वो बिन कहे कह देती हैं।
दिल के दर्द को हल्का करने में,
बारिश की तरह अश्क बहते हैं।
दिल की कहानी,मुंह जबानी ।
लब रहते खामोश मगर
आंसू सब कुछ कह जाते।
दु:ख का मंजर जब-जब आया।
नैनों में नीर डब-डब भर आया।
दिल को समझा कर कहदो ना,
छोड़ो बेकार का रोना-धोना।
अब उड़ चलो साथियों तुम !
उम्मीदों के पंखों पर चलकर।
दो पल ठहरकर देखोना,
दुनिया कितनी खूबसूरत है।
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