वर्षा रानी | Onlinebulletin
©पुष्पराज देवहरे भारतवासी, रायपुर, छत्तीसगढ़
वर्षा रानी देखो आई है,
ढेरों खुशियाँ लाई है |
काले – काले बादल आते
धरा को वर्षा से महकाई है ||
वर्षा की बौछारें देख
धरती खिल उठ आई है |
मोर पपीहा गाना गाती
वर्षा रानी सबका मन हर्षाई है ||
टप – टप करके बारीश होती
एक नई उमंग सी छाई है |
वर्षा वायु संग मिल जुल – जाती
ठंडी फुहार ले आई है ||
वर्षा की अमृत धारा से
खेतोँ में फसलें लहराई है |
हरियाली का चुनर ओढ़े धरा
वर्षा से हरियाली आई है ||
बच्चे कागज के नाव चलाते
वर्षा बच्चों के मन – भाई है |
बारीश में बच्चे छप – छप नाचे
बच्चों में मुस्कान ले आई है ||
बड़े दिनों के बाद है आई
वर्षा जीवन लेकर आई है |
छप -छप करती, कल -कल करती
वर्षा रानी राह दिखाने आई है ||