.

राजे दिल | ऑनलाइन बुलेटिन

©मजीदबेग मुगल “शहज़ाद” 

परिचय- वर्धा, महाराष्ट्र


 

गज़ल

दर्दे दिल वाले वो बोला नहीं करते।

राजे दिल अपना खोला नहीं करते।।

 

मोहब्बत का कोई मोल भाव नहीं।

धन के तराजू मे तोला नहीं करते।।

 

चेहरे पर कोई शिकन नहीं लाते।

नशे में वो कभी डोला नहीं करते।।

 

लिबास से जान लो लैला के दिवाने।

दिखावे में कभी शोला नहीं करते।।

 

ज़िन्दगी इनकी बड़ी मुक्तसर होती ।

रिश्तेदार बड़े गोला नहीं करते।।

 

भटके हुये राही को मंजिल की तलाश।

बंद रखते ऑख यूं खोला नहीं करते।।

 

नींद भूख से रिश्ता नाता कब इनको ।

ये अपनी अंजुल को झोला नहीं करते ।।

 

‘शहज़ाद ‘ये हकीकत खयाले जिस्त नहीं।

दिल जाने जेब टटोला नहीं करते ।।

 

ये भी पढ़ें :

दीपावली के दीपों की रोशनी | ऑनलाइन बुलेटिन


Back to top button