फसल कटाई का उत्सव है सैलाम नृत्य, वाद्ययंत्रों के साथ रंगबिरंगे परिधानों से मनाया जाता है उत्सव, सागर से आये कलाकारों ने दी प्रस्तुति | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

रायपुर | [धर्मेंद्र गायकवाड़] | फसल की कटाई का मौका कितना खूबसूरत होता है और कितना उमंग से भरा, राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव में सैलाम नृत्य कर रहे लोककलाकारों ने यह सुंदर दृश्य अपने नृत्य से प्रस्तुत कर दिया। ये मध्यप्रदेश के सागर से आये लोककलाकार थे।
आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ में आयोजित हो रहे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आज तीसरा व अंतिम दिन है। www.onlinebulletin.in अपने पाठकों के लिए नृत्य के कुछ अंश प्रस्तुत करेगा। कोशिश रहेगी कि हमारी टीम नृत्य की झलकियां आप तक हू-ब-हू पहुंचा सकें। हमसे जुड़ने के लिए आप फेसबुक पर online bulletin dot in सर्च करें और ट्विटर यूजर्स @onlinebulletin1 सर्च कर लाइक व फॉलों करें।
चटख रंग वाले परिधानों से सजे हरे-लाल वस्त्रों के साथ लोककलाकारों ने जब अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया तो सचमुच फसल कटाई का उत्सव आंखों के सामने साकार हो गया। इसके साथ ही बांसुरी की धुन और नगाड़े की थाप ने अद्भुत संगीत पैदा किया। इस संगीत की लय में थिरकते लोक कलाकारों के पदचाप से समूचा परिदृश्य जादूई हो गया।
नृत्य की खूबसूरती में कलाकारों की सजावट ने चार चाँद लगा दिये। कलाकारों ने परंपरागत वस्त्र पहने थे। बेहद खूबसूरत इन वस्त्रों के साथ ही परंपरागत आभूषणों की सुंदरता ने लोगों का मन मोह लिया।
सैताम नृत्य फसल कटाई के सीजन में बहुत लोकप्रिय है और लोक उत्सव को प्रकट करने का अंचल के लोगों का अपना खास तरीका है। पूरे नृत्य में कलाकारों की जो जुगलबंदी दिखी, वो अद्भुत रही। लोगों ने इस नृत्य को बहुत सराहा।