शहीद भाई की अंतिम इच्छा पूरी करने बैलगाड़ी पर दुल्हन बनकर गई बहन | newsforum
राजनांदगांव | देश की सुरक्षा में लगे जवान कितने त्याग करते हैं, कितनी ख्वाहिशें उनके सीने में दफ्न हो जाती हैं, ये बारात उसकी ही एक कहानी है। कार के जमाने में जब बैलगाड़ी पर दूल्हा निकला तो देखने वाले ठिठक गए। ये बारात एक शहीद का सपना थी, जिसे उसकी बहन पूरा कर रही थी। जंगलपुर के रहने वाले पूर्णानंद साहू बीजापुर में हुए नक्सली हमले में शहीद हो गए।
पूर्णानंद का सपना था कि वो अपनी बारात बैलगाड़ी में लेकर जाएं लेकिन नीयति को शायद यही मंजूर था कि उनकी दुल्हन नहीं बहन बैलगाड़ी में बैठकर ससुराल जाए।
शहीद भाई का सपना बहन ने पूरा किया
पूर्णानंद साहू की शादी शहीद होने से पहले फिक्स हो गई थी। शहनाई बजती लेकिन एक महीने पहले ही उन्होंने छत्तीसगढ़ की रक्षा में जान लुटा दी। उनका बैलगाड़ी में जाने का सपना अधूरा न रहा जाए इसलिए बहन ओनिशा की बारात बैलगाड़ी पर आई। रीति-रिवाज के साथ 9 दिसंबर को ओनिशा शैलेंद्र की हो गई। शहीद की एक बड़ी, दो छोटी बहनें हैं और एक छोटा भाई भी है।
बुजुर्गों को आए पुराने दिन याद
इस बारात को देखकर बुजुर्गों को भी अपना जमाना याद आ गया। पूर्णानंद के दादा का कहना है कि उनके पौते ने बैलगाड़ी में बारात निकालने की इच्चा जाहिर की थी लेकिन उसकी ये ख्वाहिश पूरी न हो सकी। अमेरिका में रहने वाले दामाद शैलेंद्र ने बैलगाड़ी पर बारात निकालकर न सिर्फ सबका दिल जीता बल्कि परंपरा भी निभाई। अर्जुनी से जंगलपुर के लिए निकली इस बारात में शामिल होने वालों ने भी भरपूर आनंद उठाया।
बीजापुर में शहीद हुआ पूर्णानंद
बीजापुर में नक्सलियों की मौजूदगी की जानकारी मिलने पर पूर्णानंद साहू तिपापुराम कैंप से ऑपरेशन के लिए निकले थे। मुठभेड़ के दौरान पूर्णानंद समेत दो जवान शहीद हुए थे और एक नक्सली भी ढेर हुआ था। पूर्णानंद 2003 में बटालियन में भर्ती हुए थे और उनकी पोस्टिंग घोर नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में थी।