महकेगा आंगन ….
©रामकेश एम यादव
निगाहों में मेरे वो छाने लगे हैं,
मुझे रातभर वो जगाने लगे हैं।
दबे पांव आते हैं घर में मेरे वो ,
मुझे धूप से अब बचाने लगे हैं।
जायका बढ़ा अदाओं का मेरे,
होंठों पे उँगली फिराने लगे हैं।
तन्हाई में डस रही थीं जो रातें,
रातें मेरी वो सजाने लगे हैं।
जेठ के जैसा तपता बदन था,
बन करके सावन भिगोने लगे हैं।
लाज- हया संग खता रोज होती,
दरिया उतर कर नहाने लगे हैं।
हुस्न औ इश्क की फिजा ही अलग है,
नया -नया नुस्खा आजमाने लगे हैं।
मेरे दर्द-ए-दिल-दिल की दवा बन चुके वो,
मोहब्बत का जाम पिलाने लगे हैं।
मैं हूँ जमीं उनकी, आसमां वो मेरे,
तजुर्बा मेरा वो बढ़ाने लगे हैं।
महकेगा आंगन फूलों से मेरा,
इशारों – इशारों में बताने लगे हैं।
? सोशल मीडिया
फेसबुक पेज में जुड़ने के लिए क्लिक करें
https://www.facebook.com/onlinebulletindotin
व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें
https://chat.whatsapp.com/Cj1zs5ocireHsUffFGTSld
ONLINE bulletin dot in में प्रतिदिन सरकारी नौकरी, सरकारी योजनाएं, परीक्षा पाठ्यक्रम, समय सारिणी, परीक्षा परिणाम, सम-सामयिक विषयों और कई अन्य के लिए onlinebulletin.in का अनुसरण करते रहें.
? अगर आपका कोई भाई, दोस्त या रिलेटिव ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन में प्रकाशित किए जाने वाले सरकारी भर्तियों के लिए एलिजिबल है तो उन तक onlinebulletin.in को जरूर पहुंचाएं।