.

झारखंड की समृद्ध परंपरा नजर आई ’हो’ नृत्य में, मांदर की थाप में प्रकृति के साथ सहभागिता दिखाने का अद्भुत नृत्य | ऑनलाइन बुलेटिन

रायपुर | [धर्मेंद्र गायकवाड़] |  राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव : राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में पड़ोसी राज्य झारखंड के कलाकारों ने ’हो नृत्य’ के माध्यम से समां बांध दिया। झारखंड का यह नृत्य प्रकृति के प्रति लोगों की गहरी आस्था का प्रतीक है। हो नृत्य के माध्यम से जनजातीय कलाकार लोकजीवन की समृद्धि और उन्नति की कामना करते हैं।

 

इस नृत्य में पुरुष कलाकारों ने श्वेत वस्त्र पहने थे और महिला कलाकारों ने झारखंड में प्रचलित साड़ी पहनी थी। सिर पर मोरपंख लगे थे और हाथों में मृदंग था। मांदर के थापों में नृत्यरत कलाकार प्रकृति की अद्भुत लय प्रस्तुत कर रहे थे।

 

मांदर की थाप के साथ कलाकारों की पदचाप बहुत अच्छी लग रही थी। झारखंड के इन कलाकारों के वस्त्रों में रंग चटखीले नहीं थे लेकिन इन्हें पहनने का खास तरीका और कलाकारों की अद्भुत सजावट और स्थानीय आभूषण कलाकारों की कला की चमक में चार चाँद लगा रहे हैं।

 

उल्लेखनीय है कि झारखंड का लोकजीवन बहुत ही समृद्ध है और हो नृत्य के माध्यम से वहां की खास परंपराओं की झलक भी कलाकारों ने दिखाई।

 

ये भी पढ़ें :

असम के नर्तक दल ने मछली पकड़ने के उत्सव पर आधारित दी ‘ला ली लांग’ लोक नृत्य की दी शानदार प्रस्तुति | ऑनलाइन बुलेटिन


Back to top button