तार- तार होती ये जिंदगी | newsforum
©ललित मेघवाल, निम्बाहेड़ा, चित्तौड़गढ़, राजस्थान
खट्टी मिठी मिश्री सी ख्वाहिशों भरी ये जिंदगी
फड़फड़ाते पंखों में भी कुछ अपनों की बंदगी
दबी दबी सांसों में हौसले भरती विरान जिंदगी
कभी कभी मुरझाकर खुद से ही होती शर्मिंदगी
रेगिस्तानअग्नि में तपती हुयी मचलती है जिंदगी
उत्तराखंड की वादियों सी महकती है जिंदगी
उड़ी उड़ी खुशबुओं सी उड़ान भरती ये जिंदगी
बेमतलब रुठ जाती कभी वक्त से पहले जिंदगी
अपनों की धुन में मग्न कभी सतरंगी बिखराती है
धूप हो या छांव तार तार होती इश्क में ये जिंदगी …