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लोग हैं …

©संकलन- धर्मेंद्र गायकवाड़, नवागढ़ मारो

 


 

 

तू अपनी खूबियां ढूंढ,

कमियां निकालने के लिए

लोग हैं …

 

अगर रखना ही है कदम तो आगे रख,

पीछे खींचने के लिए

लोग हैं …

 

सपने देखने ही है तो ऊंचे देख,

निचा दिखाने के लिए

लोग हैं …

 

अपने अंदर जुनून की चिंगारी भड़का,

जलने के लिए

लोग हैं …

 

अगर बनानी है तो यादें बना,

बातें बनाने के लिए

लोग हैं …

 

प्यार करना है तो खुद से कर,

दुश्मनी करने के लिए

लोग है …

 

रहना है तो बच्चा बनकर रह,

समझदार बनाने के लिए

लोग है …

 

भरोसा रखना है तो खुद पर रख,

शक करने के लिए

लोग हैं …

 

तू बस सवार ले खुद को,

आईना दिखाने के लिए

लोग हैं …

 

खुद की अलग पहचान बना,

भीड़ में चलने के लिए

लोग है …

 

तू कुछ करके दिखा दुनिया को,

तालियां बजाने के लिए

लोग हैं …


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