जो मैं करता हूँ…….

©डॉ. दीपक मेवाती
परिचय- मेवात, हरियाणा.
जो मैं करता हूँ उसे सब मेरा चाव बताते हैं ।
मेरी कोशिशों को मेरे घाव बताते हैं ।
छूना चाहता हूँ वैसे तो मैं भी आसमां
मुझ पर बंदिशें बेड़ियों में लिपटे पाँव बताते हैं ।
मजबूरियों का दामन छूना पड़ा नहीं जिन्हें
वो ही शख्स मुझे एक नया दाव बताते हैं ।
छोड़ने की बात करता है सुधार की क्यों नहीं
तू भी डरता है, ये तेरे सुझाव बताते हैं ।
कितनी ही बुराइयों को पीछे छोड़ा है मैंने
फिर इससे क्यों मेरा वो लगाव बताते हैं ।
मेरे बाद भी मुझसे ही शख्श मरेंगे सीवर में
वो नहीं आएगा, ये उसके भाव बताते हैं ।